उमरिया। जिले के घुनघुटी रेलवे स्टेशन के पास एक दर्दनाक हादसे में जंगली भालू की मौत हो गई। देर रात थर्ड रेलवे लाइन (930/17ए) पार करते समय अचानक ट्रेन की चपेट में आने से भालू कटकर मर गया। सुबह जब स्थानीय लोगों ने घटना देखी तो सूचना वन विभाग को दी गई। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गई है।
यह पूरा क्षेत्र बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट एरिया से सटा हुआ है। यहां अक्सर जंगली जानवरों का मूवमेंट देखा जाता है, लेकिन हाल के दिनों में यह मूवमेंट और ज्यादा बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि भोजन और पानी की तलाश में जंगली जानवर गांव और शहरी क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं। माना जा रहा है कि रात में भालू भी भोजन की तलाश में रेलवे ट्रैक पार कर रहा था, तभी तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश और चिंता दोनों देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि वन्यजीव लगातार ट्रेनों की चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं, लेकिन रेलवे और वन विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अक्सर इस ट्रैक पर हाथी, भालू और हिरणों का मूवमेंट होता है, इसके बावजूद रेलवे विभाग ने कोई चेतावनी संकेतक या बैरिकेड की व्यवस्था नहीं की है।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल एक हादसा नहीं है, बल्कि जंगलों के सिकुड़ने और भोजन की कमी का परिणाम है। जब तक वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित नहीं किया जाएगा, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। दूसरी ओर रेलवे की लापरवाही भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि ऐसी जगहों पर स्पीड लिमिट तय की जानी चाहिए और लोको पायलटों को सतर्क रहने के निर्देश दिए जाने चाहिए।
अभी तक इस हादसे को लेकर न तो स्थानीय पुलिस और न ही रेलवे प्रशासन ने कोई आधिकारिक बयान जारी किया है। वन विभाग मामले की जांच कर रहा है और भालू के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
यह घटना वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के बीच बढ़ते टकराव की ओर इशारा करती है। सवाल यह है कि कब तक जंगली जानवर विकास की रफ्तार की बलि चढ़ते रहेंगे?