बांधवगढ़ टाईम्स अपडेट //---बरसात के मौसम में छोटी सावधानी हमे बड़ी समस्याओं से बचाती है--सी. एम.एच.ओ.डॉ व्ही.एस चंदेल

उमरिया।-बदलता मौसम हमारे लिए कई चुनौतियां लेकर आता है। हमे स्वस्थ रहने के लिए कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होता है। जब बात बरसात के मौसम की हो तो वह जितना सुहाना लगता है हमे उतना ही सचेत रहना पड़ता है। हा कुछ बातों का ध्यान रखकर हम स्वयं को और परिजनों को बीमार होने से बचा सकते है। बरसात के मौसम में हम अपने स्वास्थ का ध्यान कैसे रखे। इस महत्वपूर्ण विषय पर जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डॉ विश्व मंगल सिंह चंदेल जी ने जिले वासियों को कुछ महत्वपूर्ण बातों के ध्यान रखने की अपील की है।डॉ साहब ने कहा कि बरसात हो या कोई भी मौसम हम मौसमानुकल आचरण करे खान पान का ध्यान रखे तो हमारे स्वास्थ पर प्रतिकूल असर नही पड़ेगा। स्वस्थ शरीर ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। काम के चक्कर मे हम स्वास्थ से खिलवाड़ तो करते है लेकिन बीमार होते ही हमारी भाग दौड़ पर हमारे कार्यो पर गतिविधियों पर ब्रेक लग जाता है। हमारी आदत बन गई है पहले उत्तम स्वास्थ को खो देंगे बाद में उसे हासिल करने की चाह में दवाओं का सेवन करेंगे।

जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डॉ चंदेल जी ने कहा कि बारिश शुरू होने के साथ ही जगह-जगह जल जमाव होना स्वाभाविक है। घर के आसपास वा सड़क किनारे जगह जगह पानी भरा रहता है।  इससे वायरस और बैक्टीरिया के पनपने के लिए वातावरण तैयार हो जाता है। ऐसे में जरा सी लापरवाही डेंगू, मलेरिया से लेकर पेट के संक्रमण जैसी बीमारियां गिरफ्त में ले सकती हैं। इससे बचने के लिए  हमें कुछ तैयारी करनी होगी। पहली, भोजन व पानी को साफ और स्वच्छ रखना है, दूसरी, दूषित पानी से होने वाले पेट और त्वचा के संक्रमण से बचना होगा और तीसरी, मच्छरों से होने वाली डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों को लेकर सतर्क होना होगा।मानसून में पानी के दूषित होने, आसपास साफ-सफाई नहीं होने के कारण बीमारियो की आशंका बढ़ जाती 'है। ऐसे में अगर पीने का पानी और भोजन में लापरवाही हुई  तो पेट में संक्रमण होना औरआपका बीमार पड़ना स्वाभाविक है। दरअसल, इस मौसम में नमी और तापमान में हो रहे उतार-चढ़ाव से खाना जल्दी खराब हो जाता है। इस तरह का खाना बीमार बना सकता है। साथ ही स्टोर किए हुए या अधपका खाना से या बार बार गर्म करके खाने से भी संक्रमण हो सकता है। पानी साफ न हुआ तो टाइफाइड होने के अवसर प्रबल रहते है।

डॉ चंदेल ने कहा कि घर के चारों ओर पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, जाम नालियों को साफ करें। अगर पानी जमा होने से रोकना संभव नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन डालें।  कूलर में उतना ही पानी भरे जितना रात भर में खर्च हो जाता हो।  ज्यादा पानी भरने की इस्थिती में हफ्ते में एक बार अच्छे से कूलर वा आसपास ठीक प्रकार से सफाई करे। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उन्हें सोने,बैठने वाले कमरों से दूर कर दे। डेंगू के मच्छर साफ पानी में भी पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।  अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें। मच्छरों को भगाने वा बचने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे,  कॉइल्स आदि का प्रयोग करें। नीम के पत्तो के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है। मच्छरों को पनपने से रोका जा सकता है। अक्सर देखा गया है कि फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, केलेंडरों आदि के पीछे,टंगे झोलों,ऐसे कपड़े जिनका उपयोग नही किया जाता उनमें ही मच्छर बैठते है। छिपे रहते है।  जहां आप सोते है बैठते है वहा से ऐसे सामानों को हटा दे या रोज वहां सफाई करे। 

 मुख्य रूप से हमे खान पान और मच्छरों से बचाव पर ही ध्यान देना है। चुकी बारिश का पानी ही नीचे जा रहा है वह दूषित रहता है पीने के लिए हो सके तो 1-2 माह उबाल कर छान कर उपयोग करना बेहतर रहेगा। जिन घरों में फिल्टर पानी आता है वहा  उबालने की कोई जरूरत नही है। मच्छरों से बचाव हेतु एसे  कपड़े पहनें, जिससे पूरा शरीर ढंका रहे। घरों में ज्यादा मच्छर हो तो मच्छरदानी का उपयोग करें।  खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर हम होने वाली मौसमी परेशानियों से बच सकते है। बरसात में जहरीले कीड़ों का प्रकोप भी खूब रहता है। सर्प बिछुओ के काटने से बड़ी घटनाएं हो जाती है। ऐसे  में आवस्यक है कि  रात्रि के अंधेरे में बिना टॉर्च जाने से बचे। आदरणीय किसान बंधु जो खेत मे काम करते है उन्हें ऐसे जूतों का उपयोग करना चाहिये जो घुटनो तक रहते है। साथ ही खेत की मेड़ आदि जहां बैठते है उसे साफ कर ले ताकि जल्दबाजी में भी सब कुछ इस्पस्ट दिखे। जहां सटक आदि खेती का सामान रखते हो वहां अँधेले में न जाये।

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